भाषा विज्ञान का विभाग

विभाग के बारे में

Dept. data last updated on :31/08/2024

भाषा विज्ञान विभाग की स्थापना वर्ष 1968 में एक प्रख्यात भाषाविद् और भाषा प्रेमी, एमेरिटस प्रोफ़ेसर मसूद हुसैन ख़ां/ख़ान द्वारा की गई थी। प्रारंभ से ही, भाषाविज्ञान विभाग उर्दू के विशेष संदर्भ में, भाषा विज्ञान में उत्कृष्ट शिक्षण और गहन शोध प्रदान करता रहा है। उर्दू की भूमिका जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे-जैसे बढ़ती गई, विभाग ने भी तद्नुसार, उर्दू भाषा का वैज्ञानिक विवरण प्रदान करने और उर्दू भाषा के शिक्षण और अनुसंधान के लिए आवश्यक सामग्री तैयार करने की दिशा में खुद को कार्यांवित किया है । आरंभ से ही विभाग में स्नातकोत्तर के लिए भाषाविज्ञान में एम. ए. की डिग्री एवं अनुसंधान के लिए भाषाविज्ञान में एम. फ़िल. और पी. एच. डी. डिग्रियां प्रदान की जाती रही हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय उन कुछ विश्वविद्यालयों में से एक है जो लड़के और लड़कियों दोनों के लिए भाषाविज्ञान में अलग-अलग पूर्ण स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करता है। विभाग में स्नातक शिक्षण की उपलब्धि ने विभाग की शैक्षणिक गतिविधियों को काफ़ी हद तक बढ़ाया/त्वरित किया है। भाषाविज्ञान विभाग में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय प्रतिष्ठा से संबंधित मुद्दों पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार/सम्मेलन का आयोजन किया जाता है, साथ ही साथ नियमित रूप से पाठ्यक्रमों का नवीनीकरण भी किया जाता है, और छात्रों की सहभागिता के लिए कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता है। प्रत्येक वर्ष विभाग से छात्र यूजीसी-नेट और जे.आर.एफ़ एवं मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप की प्रतियोगिताओं में अच्छी संख्या में सफ़ल होते हैं। मुफ़्त वाई-फ़ाई की सुविधा/अभिगम्यता ने AMULibNet से जुड़े ऑनलाइन कैटलॉग की पहुँच को व्यापक कर विश्वविध्यालय कैंपस में इसे सुलभ कराया है जिसने विभाग और इसकी सेमिनार लाइब्रेरी की आधुनिकता को अत्यंत बढ़ा दिया है

विभाग को दो लुप्तप्राय भाषाओं: बिरहोर और चिनाली के दस्तावेज़ीकरण के लिए उत्तरी क्षेत्र में एक नोडल सेंटर का दर्जा दिया गया है। केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली की यह परियोजना लुप्तप्राय भाषाओं की सुरक्षा और संरक्षण योजना (एसपीपीईएल) के अंतर्गत आती है।

विभाग को “लिंगविस्टिक ऐक्टिवेशन एंड बाई-डायरेक्शनल रीडिंग (उर्दू): ऐन आई ट्रैकर एंड इलेक्ट्रोएनसीफ़ेलोग्राम इन्वेस्टीगेशन” नामक परियोजना के लिए भी चयनित किया गया है। 36 महीने की अवधि की इस परियोजना का कुल बजट 3512000 रु है। विभाग की यह बहु-संस्थागत और बहु-विषयक परियोजना ‘इंटर्नली डिसप्लेस्ड पॉपुलेशन’ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित है।

स्नातकोत्तर स्तर पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिएएम.ए. तृतीय सेमेस्टर के छात्र अपने कोर्स के एक पेपर लिंगविस्टिक फ़ील्ड मेथड’ के अंतर्गत आसपास के क्षेत्रों से अपेक्षाकृत अज्ञात भाषाओं के बोले गए डेटा का संग्रहण करते हैं और उनका भाषाई विश्लेषण करते हैं। विभाग अपने छात्रों को कोरकू (ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार से संबंधित एक जनजातीय भाषा)बघाटी और सिरमौरी (सोलन के आसपास के क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषा) और कई अन्य कम ज्ञात भाषाओं पर काम करने के लिए संबंधित स्थानों  पर भेजता रहा है।

यूजीसी ने शिक्षण और अनुसंधान के मामले में विभाग के विद्वतापूर्ण योगदान के साथ-साथ विभाग के संकाय सदस्यों द्वारा सफ़लतापूर्वक की गई कई व्यक्तिगत परियोजनाओं को मान्यता देते हुए भाषा विज्ञान विभाग को स्पेशल असिस्टेंस प्रोग्राम (सैप) से सम्मानित किया है । डी.आर. एस.-सैप का चरण I और चरण II पूरा हो चुका है।

विज़न

उर्दू के विशेष संदर्भ में, सामुदायिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुकूल, भाषाई अनुसंधान और शिक्षण के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं में उत्कृष्टता हासिल कर उपमहाद्वीप (दक्षिण एशिया) के सर्वश्रेष्ठ भाषाविज्ञान विभागों में से एक बनना।



मिशन

  • सामाजिक प्रासंगिकता से संबध्य अत्याधुनिक स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट प्रोग्राम प्रदान करना।

  • एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिसमें प्रभावी पाठ्यक्रम और मूलभूत सुविधाओं के माध्यम से नए विचार और अत्याधुनिक अनुसंधानों का विकास हो ताकि भावी अकादमिक नेताओं एवं शोधकर्ताओं को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके ।

  • भाषाओं के विभिन्न अभिप्रायों/भावों के विवरण के लिए प्रशिक्षित भाषाविदों को तैयार करना जो मानव जाति की सहायता/सेवा के लिए इन्हें संरक्षित करने और भावी पीढ़ियों तक प्रसारित करने में सक्षम होंगे।

  • भारत और उसके आसपास बोली जाने वाली कम ज्ञात भाषाओं को वाणी और दृश्यता प्रदान करना।

  • शिक्षा जगत और उद्योग के मध्य दीर्घकालिक संपर्क स्थापित करने के लिए सहयोगी परियोजनाओं एवं परामर्श सेवाओं का दायित्व लेना।

  • भाषा नीति और योजना में योगदान देना एवं उपमहाद्वीप के भाषाई अल्पसंख्यकों की भाषाओं को प्रोत्साहन देने और उनकी रक्षा करने की आकांशा करना।

  • अपने संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले सर्वोत्तम संकाय सदस्यों को आकर्षित करने और रोके रखने के लिए नीतियां बनाना और उत्कृष्ट शिक्षण एवं अनुसंधान की सुविधाएं प्रदान करना।


मूल मंत्र

  • हम विद्वानों के एक समुदाय एवं एक व्यक्ति के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मूल्यों की पुष्टि करते हैं और उनसे मार्गदर्शित
    होते हैं।

  • हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं परिप्रेक्ष्य, पृष्ठभूमि और अनुभव में विविधता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं।

  • हम अपने सहकर्मियों एवं छात्रों को महत्व देते हैं और उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हैं। हम एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं और एक-दूसरे का समर्थन करते हैं और हम सभी के योगदान को महत्व देते हैं।


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Chairman and Professor