हिंदी का विभाग

विभागीय परिचय

Dept. data last updated on :11/08/2024

शैक्षणिक अध्यादेश जनवरी 1948 के आलोक में स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी-शिक्षण को संस्कृत विभाग में जोड़ा गया और विभाग का नाम बदलकर संस्कृत-हिंदी विभाग कर दिया गया। डॉ. जी. एन. शुक्ल को सितंबर 1948 को व्याख्याता ग्रेड II के रूप में नियुक्त किया गया था। व्याख्याता ग्रेड II के रूप में दूसरी नियुक्ति डॉ. शिव शंकर शर्मा की हुई थी, जो 16 अगस्त, 1950 को विभाग में शामिल हुए थे। 7 जनवरी, 1953 को रीडर और अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने वाले पहले व्यक्ति डॉ. हरवंश लाल शर्मा थे। 1950 में एम.ए. का पहला बैच उत्तीर्ण हुआ। प्रो. एच. एल. शर्मा के नेतृत्व में विभाग ने प्रगति की और भारत और विदेशों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। 1964 में, विभाग ने स्वतंत्र रूप से कार्य करना शुरू किया। विभाग मध्यकालीन और आधुनिक हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। विगत 18 वर्षों से विभाग, हिन्दी अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा चला रहा है। हिंदी विभाग ने 2012 में एम. ए. हिंदी अनुवाद भी शुरू किया है।

विभाग वर्तमान में पीएच.डी हिंदी, पीएच.डी हिंदी अनुवाद, एम.ए. हिंदी, एम.ए. हिंदी अनुवाद, पीजीडीटी (हिंदी अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा), हिंदी में बीए (ऑनर्स), अन्य संकायों के स्नातक छात्रों के लिए सब्सिडीयरी हिंदी और प्रयोजनमूलक हिंदी के साथ-साथ हिंदी भाषा में प्रवीणता पाठ्यक्रम ‘सर्टिफिकेट कोर्स इन लैंग्वेज़ प्रोफेसियंशी’ भी प्रस्तुत करता है।

भविष्यदृष्टि (VISION)

                      हिंदी विभाग, एएमयू, अलीगढ़ हिंदी भाषा और साहित्य के संदर्भ में तर्कसंगत सोच, नैतिक मूल्यों और समग्र संस्कृति की ओर उन्मुख शैक्षणिक वातावरण विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे पाठ्यक्रम हिंदी भाषा और साहित्य की सभी शाखाओं में पारंगत युवा पीढ़ी को तैयार करने के लिए परिकल्पित किए गए हैं।

उद्देश्य (MISSION)

                  हमारा उद्देश्य उल्लिखित विज़न को पूरा करना है। विभाग मध्यकालीन और आधुनिक साहित्य के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान में लगा हुआ है। हम एक ऐसा वातावरण विकसित करना चाहते हैं जहां परंपराओं को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ मिश्रित किया जाए जैसा कि हमारे देश को आज आवश्यक है। इस उद्देश्य के लिए हम मध्यकालीन साहित्य विशेषकर ब्रजभाषा साहित्य, तुलनात्मक साहित्य, अनुवाद अध्ययन में शोध करेंगे। आधुनिक समय की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, हम व्यावसायिक पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हिंदी अनुवाद, फ़ंक्शनल और कॉम्मयुनिकेटिव हिंदी, हिंदी पत्रकारिता और व्यावसायिक लेखन के साथ-साथ ऊपर परिभाषित दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सक्षम शिक्षक तैयार करना विभाग का मुख्य उद्देश्य है।

कार्यक्रम शैक्षिक उद्देश्य  और कार्यक्रम परिणाम

स्नातक

कार्यक्रम शैक्षिक उद्देश्य :

विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक छात्रों के लिए हिंदी साहित्य के मुख्य पाठ्यक्रमों के साथ-साथ सामान्य/प्रयोजनमूलक और व्यावहारिक हिंदी कार्यक्रम चलता है। पाठ्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य उचित ज्ञान देना और हिंदी भाषा के साथ-साथ हिंदी साहित्य की समग्र समझ विकसित करना है। हिंदी साहित्य के मुख्य पाठ्यक्रमों का उद्देश्य हिंदी साहित्य के इतिहास के साथ-साथ हिंदी गद्य और पद्य के विशेष संदर्भों को समझने के ज्ञान को सिद्ध करना है। कार्यात्मक और व्यावहारिक हिंदी पाठ्यक्रम का उद्देश्य भारत सरकार की आधिकारिक भाषा नीति की प्रशासनिक आवश्यकताओं के लिए हिंदी भाषा की सामान्य समझ प्रदान करना है।

कार्यक्रम के परिणाम :

उपरोक्त कार्यक्रम के पूरा होने के बाद, छात्र हिंदी भाषा को कार्यात्मक हिंदी के रूप में समझने में सक्षम होंगे। वे राजभाषा नीति के तहत रोज़गार पाने के लिए भारत सरकार के कार्यालयों के साथ काम करने और जुड़ने में सक्षम होंगे।

हिंदी भाषा और साहित्य दोनों का ज्ञान छात्रों के संचार कौशल के साथ-साथ लेखन-कौशल विकसित करने में मदद करेगा।

स्नातकोत्तर

कार्यक्रम शैक्षणिक उद्देश्य :

एमए हिंदी साहित्य कार्यक्रम शास्त्रीय और समकालीन आधुनिक साहित्य का व्यापक और उचित पाठ्यक्रम प्रदान करता है। पाठ्यक्रम प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक साहित्य के साथ-साथ हिंदी साहित्य के इतिहास के विशाल और गहन अध्ययन से परिचित कराने के लिए परिकल्पित किए गए हैं। पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को स्नातकोत्तर स्तर पर विषय के साहित्यिक अध्ययन को समझने और उससे पूरी तरह परिचित होने में सक्षम बनाना है।

कार्यक्रम के परिणाम :

उक्त पाठ्यक्रम के पूरा होने के बाद विद्यार्थी हिन्दी साहित्यिक एवं भाषाई पहलुओं के समुचित ज्ञान के साथ स्वयं को अभिव्यक्त करने में सक्षम होगा। उन्हें सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में हिंदी सहायक/सहयोगी, अनुवादक, हिंदी अधिकारी के रूप में रोज़गार के अवसर भी मिल सकेंगे। भाषा के उचित संचार कौशल और साहित्यिक दृष्टिकोण वाले स्नातकोत्तर छात्र प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह के किसी भी मीडिया हाउस से जुड़ने में सक्षम होंगे।

कार्यक्रम शैक्षिक उद्देश्य :

एमए हिंदी अनुवाद और पीजी डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन कार्यक्रम अनुवाद-अध्ययन सिद्धांत और व्यावहारिक दोनों का व्यापक और उचित पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। पाठ्यक्रम अनुवाद, अंग्रेज़ी से हिंदी और इसके विपरीत के व्यापक और विशाल अध्ययन को पेश करने के लिए परिकल्पित किए गए हैं। पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को समय की आवश्यकता के अनुसार अनुवाद-सिद्धांत और व्यावहारिक अनुवाद कार्यों को समझने और पूरी तरह से अनुवाद में पारंगत बनाना है।

कार्यक्रम के परिणाम :

उपरोक्त कार्यक्रमों के पूरा होने के बाद, छात्र सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों तरह से हिंदी अनुवाद की समझ विकसित करने में सक्षम होंगे। वे राजभाषा नीति के तहत हिंदी अनुवादक, हिंदी सहायक और हिंदी अधिकारी के रूप में रोज़गार पाने के लिए भारत सरकार के कार्यालयों के साथ काम करने और जुड़ने में सक्षम होंगे। स्नातकोत्तर हिंदी अनुवाद के बाद छात्र अनुवाद और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर अवसर प्राप्त करने के लिए आगे उच्च अध्ययन कर सकता है। हिंदी अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा अनुवाद के क्षेत्र में रोज़गार के बेहतर अवसर प्राप्त करने में भी मदद करता है।

पीएच.डी.

कार्यक्रम शैक्षिक उद्देश्य :

विश्वविद्यालय द्वारा भाषा, साहित्य और अनुवाद के विशिष्ट क्षेत्रों/क्षेत्रों में उच्च स्तरीय गुणवत्ता अनुसंधान के दृष्टिकोण के साथ पीएचडी पाठ्यक्रम पेश किया जाता है। पाठ्यक्रम कार्य का पाठ्यक्रम अनुसंधान पद्धति को समझने की स्पष्ट अवधारणा के साथ अध्ययन के विशिष्ट क्षेत्र में गहरी रुचि विकसित करने के लिए परिकल्पित किया गया है, क्योंकि शोधकर्ता अपने शोध कार्यों के दौरान व्यावहारिक रूप से इसे लागू कर सकते हैं।

पीएच.डी. कार्यक्रम का उद्देश्य अंतर् अनुशासनिक दृष्टि के साथ के उच्चतम अकादमिक प्रमुखता वाले उच्च गुणवत्तापूर्ण वाले मानक शोध प्रस्तुत करना है।

कार्यक्रम के परिणाम :

शोध-कार्य संपन्न होने के पश्चात छात्र स्वतंत्र शोध पत्र लिखने के लिए उच्च स्तरीय आलोचनात्मक साहित्यिक दृष्टिकोण विकसित करने में सक्षम होगा, साथ ही विशिष्ट क्षेत्रों में आगे उच्च शोध कार्य और स्वतंत्र शोध परियोजनाओं के लिए आगे बढ़ सकता है। छात्र आलोचनात्मक साहित्यिक विचारों के प्रति तार्किक पद्धति से व्यक्तिगत, स्वतंत्र सोच और दृष्टिकोण का पता लगाने में सक्षम होंगे।

अनुसंधानकर्ता को देश-विदेश में किसी भी उच्च संस्थान में रोज़गार के अवसर मिल सकेंगे।


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Chairman and Professor