Grant Section
अनुदान अनुभाग
प्रारंभ में अनुदान अनुभाग कोई अलग अनुभाग नहीं था और यह बिल तथा अग्रिम अनुभाग के साथ सम्मिलित था, लेकिन धीरे-धीरे यूजीसी, डीएसटी, डीबीटी, आईसीएआर, एमएचआरडी, सीसीआरयूएम, डीएई और एनएचएम आदि से अनुदान में काफी वृद्धि हुई और अनुदान अनुभाग को स्वतंत्र रूप में अलग करने की आवश्यकता हुई। अतः अनुदान अनुभाग वर्ष 1984 से स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य कर रहा है ।
वर्तमान में, अनुदान अनुभाग में कुल 134 अनुसंधान परियोजनाएं (प्रमुख/लघु) संचालित हो रही हैं। परियोजनाओं की संख्या समय-समय पर भिन्न हो सकती है। SAP, DSA, CAS, DRS, DST फिस्ट प्रोग्राम, DST पर्स प्रोग्राम, TEQIP-III, CARET, CWC, SWINGS और NHM आदि प्रमुख/लघु परियोजनाएं हैं। इन प्रमुख/लघु परियोजनाओं को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी), केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (एमएमए) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) आदि द्वारा वित्त पोषित किया जाता है ।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मलप्पुरम, मुर्शिदाबाद तथा किशनगंज जैसे तीन परिसेत्तर केन्द्रों को अनुदान स्वीकृत किया जाता है और उसकी देख-रेख भी इसी कार्यालय द्वारा की जाती है।
भारत सरकार ने सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) का आरम्भ किया है, इसलिए विश्वविद्यालय को भारत सरकार से सीधे पीएफएमएस के माध्यम से धन प्राप्त होता है एवं अनुदान अनुभाग यूजीसी/वित्त मंत्रालय पोर्टल (पीएफएमएस) पर प्राप्ति और व्यय का ब्यौरा रखता है।
योजना अवधि पूर्ण होने के उपरांत, यूजीसी/एमएचआरडी (वर्तमान में शिक्षा मंत्रालय) द्वारा पूंजीगत संपत्ति-35 (पुस्तकें, भवन, उपकरण और अन्य बुनियादी ढांचा) के तहत अनुदान स्वीकृत किया जाता है और इस स्वीकृत अनुदान का लेखा-जोखा एवं देख-रेख भी इसी अनुभाग द्वारा की जाती है ।
अनुदान अनुभाग अपना तुलन-पत्र स्वयं तैयार करता है जिसका विलय विश्वविद्यालय के वार्षिक खातों के साथ कर दिया जाता है ।
अनुभाग में दो अनुभाग अधिकारियों सहित कुल स्वीकृत पदों की संख्या 12 है। वर्तमान में अनुभाग में केवल 08 कर्मचारी वित्त अधिकारी के मार्गदर्शन एवं पर्यवेक्षण में कार्यरत हैं।